मुहावरे और उनके अर्थ Muhavre Aur Unke Arth

प्रिय पाठकों,

RTET,HTET, DSSSB, KVS और NVS परीक्षाओं में हिन्दी भाग से विभिन्न प्रश्न पूछे जाते है ये मुहावरे वाले प्रश्न आप बहुत आसानी से हल कर सकते है यदि आप हिंदी भाषा से सम्बंधित विभिन्न टॉपिक के प्रश्नों का अभ्यास करे, हम हिंदी भाषा पर बहुत महत्वपूर्ण श्रृंखला की शुरुवात कर रहे है जो की आगामी UPTET, DSSSB और अन्य शिक्षण परीक्षाओ में बहुत ही सहायक होगी ।

महत्वपूर्ण मुहावरे:
गरदन झुकाना - (लज्जित होना) - मेरा सामना होते ही उसकी गरदन झुक गई।

2.  मुँह में पानी भर आना  -(दिल ललचाना) -लड्डुओं का नाम सुनते ही पंडितजी के मुँह में पानी भर आया।

3.  मुँह खून लगना - (रिश्वत लेने की आदत पड़ जाना) - उसके मुँह खून लगा है, बिना लिए वह काम नहीं करेगा ।

4.  मुँह छिपाना - (लज्जित होना) - मुँह छिपाने से काम नहीं बनेगा, कुछ करके भी दिखाओ।

5.  मुँह रखना-(मान रखना) - मैं तुम्हारा मुँह रखने के लिए ही प्रमोद के पास गया था, अन्यथा मुझे क्या आवश्यकता थी।

6. मुँहतोड़ जवाब देना - (कड़ा उत्तर देना) - श्याम मुँहतोड़ जवाब सुनकर फिर कुछ नहीं बोला।

7. मुँह पर कालिख पोतना - (कलंक लगाना) - बेटा तुम्हारे कुकर्मों ने मेरे मुँह पर कालिख पोत दी है।

8.  मुँह ताकना - (दूसरे पर आश्रित होना) -अब गेहूँ के लिए हमें अमेरिका का मुँह नहीं ताकना पड़ेगा।

9.  मुँह बंद करना-(चुप कर देना) -आजकल रिश्वत ने बड़े-बड़े अफसरों का मुँह बंद कर रखा है।

10. दाँत पीसना - (बहुत ज्यादा गुस्सा करना) - भला मुझ पर दाँत क्यों पीसते हो? शीशा तो शंकर ने तोड़ा है।

11.  दाँत खट्टे करना - (बुरी तरह हराना) - भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।

12. दाँत काटी रोटी-(घनिष्ठता, पक्की मित्रता) -कभी राम और श्याम में दाँत काटी रोटी थी पर आज एक-दूसरे के जानी दुश्मन है।

13.  गरदन पर सवार होना - (पीछे पड़ना) - मेरी गरदन पर सवार होने से तुम्हारा काम नहीं बनने वाला है।

14.  गरदन पर छुरी फेरना-(अत्याचार करना) -उस बेचारे की गरदन पर छुरी फेरते तुम्हें शरम नहीं आती, भगवान इसके लिए तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे।

15. गला घोंटना - (अत्याचार करना) - जो सरकार गरीबों का गला घोंटती है वह देर तक नहीं टिक सकती।

16.  गला फँसाना-(बंधन में पड़ना)- दूसरों के मामले में गला फँसाने से कुछ हाथ नहीं आएगा।

17. गले मढ़ना-(जबरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना)- इस बुद्धू को मेरे गले मढ़कर लालाजी ने तो मुझे तंग कर डाला है।

18. गले का हार-(बहुत प्यारा)- तुम तो उसके गले का हार हो, भला वह तुम्हारे काम को क्यों मना करने लगा।

19.  मुँह उतरना-(उदास होना)-आज तुम्हारा मुँह क्यों उतरा हुआ है।

20.  सिर पर मौत खेलना-(मृत्यु समीप होना)-विभीषण ने रावण को संबोधित करते हुए कहा, ‘भैया ! मुझे क्या डरा रहे हो ? तुम्हारे सिर पर तो मौत खेल रही है‘।


1. सिर पर मौत खेलना-(मृत्यु समीप होना)-विभीषण ने रावण को संबोधित करते हुए कहा, ‘भैया ! मुझे क्या डरा रहे हो ? तुम्हारे सिर पर तो मौत खेल रही है‘।

2. सिर पर खून सवार होना-(मरने-मारने को तैयार होना)- अरे, बदमाश की क्या बात करते हो ? उसके सिर पर तो हर समय खून सवार रहता है।

3. सिर-धड़ की बाजी लगाना-(प्राणों की भी परवाह न करना)- भारतीय वीर देश की रक्षा के लिए सिर-धड़ की बाजी लगा देते हैं।

4. सिर नीचा करना-(लजा जाना)- मुझे देखते ही उसने सिर नीचा कर लिया।

5. हाथ खाली होना-(रुपया-पैसा न होना)- जुआ खेलने के कारण राजा नल का हाथ खाली हो गया था।

6.  हाथ खींचना-(साथ न देना)- मुसीबत के समय नकली मित्र हाथ खींच लेते हैं।

7. हाथ पे हाथ धरकर बैठना-(निकम्मा होना)- उद्यमी कभी भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठते हैं, वे तो कुछ करके ही दिखाते हैं।

8. हाथों के तोते उड़ना-(दुख से हैरान होना)- भाई के निधन का समाचार पाते ही उसके हाथों के तोते उड़ गए।

9. हाथोंहाथ-(बहुत जल्दी)- यह काम हाथोंहाथ हो जाना चाहिए।

10. हाथ मलते रह जाना-(पछताना)- जो बिना सोचे-समझे काम शुरू करते है वे अंत में हाथ मलते रह जाते हैं।

11. हाथ साफ करना-(चुरा लेना)- ओह ! किसी ने मेरी जेब पर हाथ साफ कर दिया।

12. हाथ-पाँव मारना-(प्रयास करना)- हाथ-पाँव मारने वाला व्यक्ति अंत में अवश्य सफलता प्राप्त करता है।

13. हाथ डालना-(शुरू करना)- किसी भी काम में हाथ डालने से पूर्व उसके अच्छे या बुरे फल पर विचार कर लेना चाहिए।

14. हवा लगना-(असर पड़ना)- आजकल भारतीयों को भी पश्चिम की हवा लग चुकी है।

15. हवा से बातें करना-(बहुत तेज दौड़ना)- राणा प्रताप ने ज्यों ही लगाम हिलाई, चेतक हवा से बातें करने लगा।

16. हवाई किले बनाना-(झूठी कल्पनाएँ करना)-हवाई किले ही बनाते रहोगे या कुछ करोगे भी ?

17. हवा हो जाना-(गायब हो जाना) - देखते-ही-देखते मेरी साइकिल न जाने कहाँ हवा हो गई ?

18. पानी-पानी होना-(लज्जित होना)- ज्योंही सोहन ने माताजी के पर्स में हाथ डाला कि ऊपर से माताजी आ गई। बस, उन्हें देखते ही वह पानी-पानी हो गया।

19.  पानी में आग लगाना - (शांति भंग कर देना)-तुमने तो सदा पानी में आग लगाने का ही काम किया है।

20. धज्जियाँ उड़ाना-(नष्ट-भ्रष्ट करना)- यदि कोई भी राष्ट्र हमारी स्वतंत्रता को हड़पना चाहेगा तो हम उसकी धज्जियाँ उड़ा देंगे।
अंग-अंग मुसकाना-(बहुत प्रसन्न होना) - आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।

2. अंग-अंग टूटना-(सारे बदन में दर्द होना) - इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।

3. अंग-अंग ढीला होना-(बहुत थक जाना) - तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

4. अक्ल का दुश्मन-(मूर्ख) - वह तो निरा अक्ल का दुश्मन निकला।

5.  अक्ल चकराना - (कुछ समझ में न आना) - प्रश्न-पत्र देखते ही मेरी अक्ल चकरा गई।

6.  अक्ल के पीछे लठ लिए फिरना (समझाने पर भी न मानना) - तुम तो सदैव अक्ल के पीछे लठ लिए फिरते हो।

7. अक्ल के घोड़े दौड़ाना- (तरह-तरह के विचार करना) - बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अक्ल के घोड़े दौड़ाए, तब कहीं वे अणुबम बना सके।

8. आँख दिखाना- (गुस्से से देखना) - जो हमें आँख दिखाएगा, हम उसकी आँखें फोड़ देगें।

9. आँखों में गिरना-(सम्मानरहित होना) - कुरसी की होड़ ने जनता सरकार को जनता की आँखों में गिरा दिया।

10. आँखों में धूल झोंकना-(धोखा देना) - शिवाजी मुगल पहरेदारों की आँखों में धूल झोंककर बंदीगृह से बाहर निकल गए।

11. आँख चुराना-(छिपना) - आजकल वह मुझसे आँखें चुराता फिरता है।

12. आँख मारना-(इशारा करना) - गवाह मेरे भाई का मित्र निकला, उसने उसे आँख मारी, अन्यथा वह मेरे विरुद्ध गवाही दे देता।

13. आँख तरसना-(देखने के लालायित होना) - तुम्हें देखने के लिए तो मेरी आँखें तरस गई।

14. आँख फेर लेना-(प्रतिकूल होना) - उसने आजकल मेरी ओर से आँखें फेर ली हैं।

15. आँख बिछाना-(प्रतीक्षा करना) - लोकनायक जयप्रकाश नारायण जिधर जाते थे उधर ही जनता उनके लिए आँखें बिछाए खड़ी होती थी।

16. आँखें सेंकना- (सुंदर वस्तु को देखते रहना) -आँख सेंकते रहोगे या कुछ करोगे भी

17. आँखें चार होना-(प्रेम होना,आमना-सामना होना) - आँखें चार होते ही वह खिड़की पर से हट गई।

18. आँखों का तारा-(अतिप्रिय) - आशीष अपनी माँ की आँखों का तारा है।

19. आँख उठाना-(देखने का साहस करना) - अब वह कभी भी मेरे सामने आँख नहीं उठा सकेगा।

20. आँख खुलना - (होश आना) - जब संबंधियों ने उसकी सारी संपत्ति हड़प ली तब उसकी आँखें खुलीं।

1.आँखों पर परदा पड़ना - (लोभ के कारण सचाई न दीखना) - जो दूसरों को ठगा करते हैं, उनकी आँखों पर परदा पड़ा हुआ है। इसका फल उन्हें अवश्य मिलेगा।

2. आँखों का काटा - (अप्रिय व्यक्ति) -  अपनी कुप्रवृत्तियों के कारण राजन पिताजी की आँखों का काँटा बन गया।

3. आँखों में समाना - (दिल में बस जाना) -  गिरधर मीरा की आँखों में समा गया।

4. कलेजे पर हाथ रखना - (अपने दिल से पूछना) -अपने कलेजे पर हाथ रखकर कहो कि क्या तुमने पैन नहीं तोड़ा।

5. कलेजा जलना - (तीव्र असंतोष होना) - उसकी बातें सुनकर मेरा कलेजा जल उठा।

6. कलेजा ठंडा होना - (संतोष हो जाना) - डाकुओं को पकड़ा हुआ देखकर गाँव वालों का कलेजा ठंढा हो गया।

7. कलेजा थामना - (जी कड़ा करना) - अपने एकमात्र युवा पुत्र की मृत्यु पर माता-पिता कलेजा थामकर रह गए।

8. कलेजे पर पत्थर रखना - (दुख में भी धीरज रखना) - उस बेचारे की क्या कहते हों, उसने तो कलेजे पर पत्थर रख लिया है।

9. कलेजे पर साँप लोटना - (ईर्ष्या से जलना) -श्रीराम के राज्याभिषेक का समाचार सुनकर दासी मंथरा के कलेजे पर साँप लोटने लगा।

10. कान भरना - (चुगली करना) - अपने साथियों के विरुद्ध अध्यापक के कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।

11. कान कतरना - (बहुत चतुर होना) - वह तो अभी से बड़े-बड़ों के कान कतरता है।

12. कान का कच्चा - (सुनते ही किसी बात पर विश्वास करना) - जो मालिक कान के कच्चे होते हैं वे भले कर्मचारियों पर भी विश्वास नहीं करते।

13. कान पर जूँ तक न रेंगना - (कुछ असर न होना) - माँ ने गौरव को बहुत समझाया, किन्तु उसके कान पर जूँ तक नहीं रेंगी।

14. कानों कान खबर न होना - (बिलकुल पता न चलना) -सोने के ये बिस्कुट ले जाओ, किसी को कानोंकान खबर न हो।

15. नाक में दम करना - (बहुत तंग करना) -आतंकवादियों ने सरकार की नाक में दम कर रखा है।

16. नाक रखना - (मान रखना) - सच पूछो तो उसने सच कहकर मेरी नाक रख ली।

17. नाक रगड़ना - (दीनता दिखाना) - गिरहकट ने सिपाही के सामने खूब नाक रगड़ी, पर उसने उसे छोड़ा नहीं।

18. नाक पर मक्खी न बैठने देना - (अपने पर आँच न आने देना) - कितनी ही मुसीबतें उठाई, पर उसने नाक पर मक्खी न बैठने दी।

19. नाक कटना-(प्रतिष्ठा नष्ट होना) - अरे भैया आजकल की औलाद तो खानदान की नाक काटकर रख देती है।

20.  मुँह की खाना-(हार मानना)- पड़ोसी के घर के मामले में दखल देकर हरद्वारी को मुँह की खानी पड़ी।

हिन्दी साहित्य / Hindi Sahitya 🌟:

मुहावरों के अर्थ और प्रयोग Muhavron ke Arth aur Prayog

1. अंकुश रखना-नियंत्रण में रखा।

आज, समर्थ एवं योग्य नेता ही अपनी पार्टी के सदस्यों पर अंकुश रख पाता है।

2. अंगारे उगलना-जली कटी सुनाना।

भरी बस में चाकू दिखाते हुए राकेश की जेब काटकर जेबकतरा जब चला गया तो राकेश ने चुपचाप देखते रहे बस के लोगों पर खूव अंगारे उगले।

3. अंगारों पर चलना-खतरा मोल लेना।

भारत के सभी सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए अंगारों पर चलने से भी कभी नहीं घबराते।

4. अंगूठा दिखाना-ऐन मौके पर मना कर देना।

धोखेबाज़ लोग किसी भी तरह का काम पड़ने पर अंगूठा दिखा देते है।

5. अंधे की लाठी-बुढ़ापे का सहारा या एकमात्र सहारा।

प्रत्येक पुत्र को अपने माता-पिता के लिए अंधे की लाठी बनना चािहए।

6. अंधेरे घर का उजाला-इकलौता बेटा या एकमात्र सहारा।

प्रोफेसर साहब के लिए तो अब केवल हिमांशु ही अंधेरे घर का उजाला है।

7. अंधाधुंध लुटाना-बिना सोचे समझे खर्च करना।

आज के युग में अंधाधुंध लुटाना भविष्य के दिवालियेपन का ही सूचक है।

8. अक्ल के घोड़े दौड़ाना-बहुत दूर तक सोचना।

जीवन की प्रत्येक परीक्षा में अक्ल के घोड़े दौड़ने पर ही सफलता हासिल होती है।

9. अक्ल का दुश्मन-मूर्ख या बेवकूफ

अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मारनेवाले को अक्ल का दुश्मन ही कहा जा सकता है।

10. अपना उल्लू सीधा करना-अपना काम निकालना या स्वार्थ सिद्ध करना।

आज हमारा दुर्भाग्य है कि देश के अधिकांश नेता समाज एवं राष्ट्र की चिनता न कर केवल अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।

11. अपने पैरों पर कुलहाड़ी मारना-स्वयं अपना नुकसान करना।

नशीले पदार्थों का सेवन करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना ही है।

12. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना-अपनी प्रशंसा आप ही करना।

कर्मठ एवं गंभीर व्यक्तियों को अपने मुँह मियाँ मिटठू बनना शोभा नहीं देता।

13. अपनी खिचड़ी अलग पकाना-सबसे अलग रहना।

संगठन की ताकत तभी कमज़ोर होती है जब कुछ लोग अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगते हैं।

14. अपने पैरों पर खड़ा होना-स्वावलंबी होना या आत्मनिर्भर बनना।

आज के इस वैज्ञानिक युग में हमारी पूरी कोशिश होनी चाहिए कि भारत भी अन्य कुद देशों की परह ही अपने पैरों पर पूरी तरह से खड़ा हो सके।

15. आँखे खुल जाना-सच्चाई जानकर सावधान होना।

दिन-रात पढ़ते रहने का बहाना बनाने वाले पुत्र के परीक्षा में फेल होने पर पिता की आँखें खुल गईं।

16. आँखों का तारा होना-अत्यंत प्रिय होना।

होनहार बच्चे सदैव अपने माता-पिता की आँखों के तारे होते हैं।

17. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना या मूर्ख बनाना।

आजकल अधिकांश व्यापारी खाने-पीने की चीज़ों में मिलावअ कर ग्राहकों की आँखों में धूल झोंक रहे हैं।

18. आसमान के तारे तोड़ना-असंभव कार्य को संभव बनाना।

वीर योद्धा आसमान के तारे तोड़ने में सदैव आगे तथा तत्पर रहते हैं।

19. आकाश-पाताल एक कर देना-कोई कसर न रखना या कोई प्रयत्न शेष न रखना।

सुधीर ने अपनी माता जी का इलाज कराने में आकाश-पाताल एक कर दिया।

20. आग में घी डालना-क्रोध को और भड़काना।

आग में घी उालने वालों से दैनिक जीवन में सदैव सावधान रहना चाहिए।

21. आग बबूला होना-अत्यंत क्रोधित (कुपित) होना।

अपने ही समर्थकों द्वारा शत्रु के साथ समझौता करने की सूचना मिलने पर दीपक आग बबूला होने लगा।

22. आटे दाल का भाव मालूम होना-होश ठिकाने आ जाना या वास्तविकता का पता च जाना।

विवाह करने पर रवीन्द्र जब कल्पना-लोक से यथार्थ में आया तो उसे आटे दाल का भाव मालूम हो गया।

23. आस्तीन का साँप होना-ऊपर से मित्र तथा भीतर से शत्रु होना या भीतर घुस कर हानि पहुँचाना।

स्वार्थी लोग आस्तीन के साँप होते हैं अतः उनसे सावधान रहना चाहिए।

24. ईंट का जवाब पत्थर से देना-आक्रमणकारी को मज़ा चखाना।

भारत के सैनिकों ने युद्ध के मैदान में शत्रु को सदैव ईंट का जवाब पत्थर से ही दिया है।

25. ईंट से ईंट बजाना-नष्ट-भ्रष्ट कर देना।

उसे सीधा समझ कर मत छेड़ो, वह बड़ों-बड़ों की ईंट से ईंट बजा सकता है।

26. ईद का चाँद होना-दर्शन दुर्लभ होना।

आजकल परीक्षा के दिन हैं इसीलिए तुम इ्रद के चाँद हो गए हो।

27. उंगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना-थोड़ी सी एील मिलते ही पूरा अधिकार जमाने की चेष्टा करना।

जीवन को मैंने घर में आने-जाने का बढ़ावा क्या दिया, वह उंगली पकड़कर पहुँचा भी पकड़ने की ताक में है।

28. उल्टी गंगा बहाना-परम्परा के विरुद्ध कार्य करना।

आजकल घर-घर में उल्टी गंगा बह रही है। बेटे तो आराम करते हैं और पिता काम करते हैं।

29. उल्लू बनाना-मूर्ख बनाना

लड़कों ने श्याम से मिठाई खाकर उसे खूब उल्लू बनाया।

30. एक और एक ग्यारह होना-संगठन में शक्ति होना।

देखो, हर समय पड़ोसी से बना के रखो, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।

31. कंधे से कंधा मिलाकर चलना-एक-दूसरे का साथ देना।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दू-मुसलमान कंधे से कंधा मिलाकर चले, तभी तो सफलता मिली।

32. कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या से अत्याधिक दुःखी होना।

धर्मेन्द्र के प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने का समाचार पाते ही उसके कुछ साथियों के कलेजे पर साँप लोटने लगे।

मुहावरों के अर्थ और प्रयोग Muhavron ke Arth aur Prayog

33. कलेजे पर पत्थर रखना-जी कड़ा करना, विपत्ति में धीरज रखना।

पति की मृत्यु का समाचार पाकर भी राधा कलेजे पर पत्थर रखकर अपने बच्चे की देखभाल में लगी रही।

34. काँटे बिछाना-बाधा उपस्थित करना।

दूर्जनों का काम ही सदैव सज्जनों के मार्ग में काँटे बिछाना है।

35. कान पर जूँ न रेंगना-बार-बार कहने पर भी कोई असर न होना।

नगर की गन्दगी के बारे में कई बार लिखा गया, पर नगर-पालिका के कर्मचारियों के कान पर जूँ नहीं रेंगतीं।

36. काल के गाल में चले जाना-स्वर्गवास होना।

हमारे देश में आज भी पुष्ट आहार न मिलने से कई बच्चे असमय में ही काल के गाल में चले जाते हैं।

37. खटाई में पड़ना-अनिश्चय की दशा में पड़ना, अधूरा रह जाना।

परीक्षा की लिए पर्याप्त सामग्री न मिलने पर मेरी तैयारी खटाई में पड़ गई।

38. ख्याली पुलाव पकाना-असंभव बातें सोच-सोचकर खुश होना।

बेकारी के कारण रमेश घर में बैठा-बैठा ख्याली पुलाव पकाता रहता है, कर के कुछ नहीं दिखाता।

39. गढें मुर्दे उखाड़ना-बीती हुई बातों को व्यर्थ दुहराना।

बहुत से लोगों को मित्रों के सामने गढ़े मुर्दे उखाड़ने में ही मज़ा आता है।

40. गागर में सागर भरना-थोड़े में बहुत कहना।

बिहारी ने अपने प्रत्येक दोहे के अन्दर गागर में सागर भर दिया है।

41. गुड़ गोबर कर देना-बना-बनाया काम बिगाड़ देना।

शशांक ने तो अपनी बहन की शादी तय कर दी थी, पर उसके सम्बन्धियों ने बीच में पडकर सारा गुड़ गोबर कर दिया।

42. घड़ों पानी पड़ना-अत्यंत लज्जित होना।

कॉलेज की सभा में अध्यक्ष की कलई खुलते ही उसपर घड़ों पानी पड़ गया।

43. घाट-घाट का पानी पीना-विविध प्रकार का अनुभव होना।

शैलेन्द्र अमरीका में बसने से पहले भी घाट-घाट का पानी पी चुका है।

44. घी के दिए जलाना-खुशी मनाना।

लाटरी का रुपया मिलते ही मयंक ने अपने घर में घी के दिए जलाए।

45. घोड़े बेचकर सोना-गहरी नींद में निश्चिन्त सोना।

दरवाज़ा खटकाते-खटकाते मैं तो थक गया, लगता है इस घर के सभी लोग घोड़े बेचकर सो रहे है।

46. घर फूँक तमाशा देखना-मस्ती में सब कुछ नष्ट कर देना।

शराब और जुए में सारी सम्पत्ति चौपट करके घर फूँक तमाशा देखने वाले बाद में बहुत पछताते हैं।

47. चाँदी का जूता मारना-धन के बल पर वश में करना।

आज वो समय है जब चाँदी का जूता मारकर इंस्पैक्टर से काम करा लिया जाता है।

48. चुल्लू भर पानी में डूब मरना-बेहद शर्मिदा होना।

राधा को तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए, क्योंकि उसक परीक्षा में नकल करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया।

49. चोली-दामन का साथ होना-अधिक घनिष्ठता होना।

भारत रूस का तो चोली-दामन का साथ रहा ही है।

50. छक्के छुड़ाना-(मुठभेड़ में) दुर्दशा करना, हरा देना।

खाड़ी युद्ध में संयुक्त राष्ट्र की सेनाओं ने ईराक की सेना के छक्के छुड़ा दिए।

51. छठी का दूध याद आना-अत्यन्त दुर्गति होना या परेशान होना।

लोक सेवा आयोग की प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने के लिए छठी का दूध याद आ जाता है।

52. छप्पड़ फाड़कर देना-अनायास भरपूर प्राप्त होना।

भाग्यशाली व्यक्ति को परमात्मा छप्पड़ फाड़कर देता है।

53. छाती पर साँप लोटना-ईर्ष्या या डाह से अत्यधिक दुःखी होना।

हमारे कॉलेज का परीक्षाफल अस्सी प्रतिशत रहा है, यह खबर सुनते ही नगर के अन्य कॉलेजों के प्राचार्यों की छाती पर साँप लोट गया।

54. जले पर नमक छिड़कना-दुःखी को और कष्ट देना।

परीक्षा में असफल हो जाने से राधा पहले ही दुःखी थी, अब आगे पढ़ाई छोड़ देने की बात कहकर माता-पिता ने जैसे जले पर नमक छिड़क दिया।

55. जान हथेली पर रखना-मृत्यु की चिन्ता न करना।

वीर योद्धा अपनी जान हथेली पर रखकर ही चलते हैं।

56. जी तोड़कर काम करना-परिश्रमपूर्वक कार्य करना।

सभी मज़दूरों ने जी तोड़कर काम किया और भरपूर पैसा कमाया।

57. झंडा गाड़ना-धाक जमाना।

निंरतर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर योगेन्द्र ने महाविद्यालय में झंडा गाड़ दिया।

58. टका-सा जवाब देना-साफ़ इन्कार करना।

राजू पूरी आशा से मालिक के पास गया था, पर मालिक ने तो टका-सा जवाब देकर उसे लौटा दिया।

59. डींग मारना-बढ़-बढ़कर बातें करना।

बहुत-से लोग प्रायः अपने बड़प्पन की बड़ी डींग मारा करतें हैं।

60. तलवार की धार पर चलना-जोखिम उठाकर कार्य करना।

युद्ध-नीति की साधना करना तलवार की धार पर चलने से कम नहीं है।

61. तिल का ताड़ बनाना-छोटी-सी बात को बहुत बड़ी बना देना।

मुकद्दमे मे वकील हमेशा तिल का ताड़ बना देते हैं।

62. थाली का बैंगन होना-किसी सिद्धांत का न होना।

आजकल के नेता तो थाली के बैंगन हैं, कभी इस दल में कभी उस दल में।

63. दाँत खट्टे करना-बुरी तरह हरा देना।

भारत की क्रिकेट टीम ने मैच में इंग्लैण्ड की टीम के दाँत खट्टे कर दिए।

64. दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करना-खूब उन्नति करना।

रक्षाबधंन पर बहन ने भाई से कहा कि ईश्वर करे तुम्हारी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की हो।

धन्यवाद

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